सेन्गोल क्या है, क्या है इसकी कहानी नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री को दिया जाना है जो

 सेन्गोल पर बहुत चर्चा हो रही है इस समय क्योंकि नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई 2023 को होने जा रहा है तो इसे प्रधानमंत्री को दिया जाएगा सेन्गोल क्या है क्या है इसकी कहानी आइए जानते हैं

सेन्गोल सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है यह जब भारत को आजादी मिल रही थी उस समय इस पर विचार किया गया कि सत्ता का हस्तांतरण किस प्रकार से हो क्योंकि अंग्रेजों द्वारा जब भारत को सत्ता सौंपी जानी थी उसी दौरान इस पर चर्चा हुई थी तो नेहरु जी ने सी राजगोपालाचारी जो तमिलनाडु से थे उनसे इस पर चर्चा की तो उन्होंने काफी खोज करके कई साहित्य का अध्यन करके और धर्म ग्रंथों का अध्ययन किया ,चोल वंश से संबंधित कुछ ऐसी चीजों पर उन्हें जानकारी प्राप्त की और सेन्गोल के बारे में पता किया कि जब सत्ता हस्तांतरण एक राजा से दूसरे राजा को होती है तब सेन्गोल देने की परंपरा रही  है तो सेन्गोल का निर्माण किया गया और अंग्रेजों द्वारा भारत को सत्ता मिली तब नेहरू जी 1947 में को दिया गया था इसे अभी तक इलाहाबाद के संग्रहालय में रखा गया था 

उस समय इसको बनाने में ₹15000 का खर्च आया था सी राजगोपालाचारी ने काफी धर्म ग्रंथों को पढ़कर के इसके बारे में पता किया कि कैसे  एक राजा से दूसरे राजा को सत्ता हस्तांतरण के द्वारा दिया जाता है तो अंग्रेजों ने जब सत्ता हस्तांतरण में भारत को होने वाली थी तो उस समय कैसे इसको किया जाए उसी पर नेहरू जी से चर्चा हुई तो नेहरु जी ने राजगोपालाचारी से इस पर चर्चा की कैसे इसको बनाया जाए और कैसे इस पर काम किया जाए इस पर नंदी बना रहता है जो एक न्याय का प्रतीक है

इसे लोकतंत्र के मंदिर में संसद भवन में  स्पीकर के पास सदन में रखा जाएगा सेन्गोल का महत्व इसलिए बढ़ गया है इस बार क्योंकि नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई 2023 को होने जा रहा है तो इसे प्रधानमंत्री को दिया जाएगा

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